March 01, 2009

मौसम के साथ खिले कुछ फूल

[Copied over from my old blog storyteller.blogspirit.com]

मौसम के साथ खिले कुछ फूल
दरख्त की जड़ों पुर लग चुकी दीमक
शाख को क्या मालूम

तलवारों ने पहनी शौर्य की धार
आधी तनख्वा पे बिके सेनापति
सैनिकों को क्या मालूम

श्रद्धा से झुकाया मन्दिर मे सर
लालच और ज़हर से सना हुआ दिल
दुआओं को क्या मालूम

जब होते हैं वो बस उन्हें देखते हैं
उनकी याद फिर मे तुम्हे देखते हैं
उनको क्या मालूम, तुमको क्या मालूम

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