March 22, 2009

परछाइयों के अंधेरे मे खो जाओगे

परछाइयों के अंधेरे मे खो जाओगे
भीड़ भरे रास्तों पर सर उठा के चलो

आईने मे चाँद मिल भी जाए तो क्या
कभी बाहर चांदनी की छाओं में चलो

वो खड़ा है उस तरफ़ अकेला, गुमसुम
थोड़ा मुस्कुराओ और उसकी ओर चलो

ये बारिश नही रुकेगी आज की शाम
मौसम में एक बार तो भीगते चलो

आज की शाम न दोस्त हैं, न साथी
आज मयखाने अकेले ही चलो

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