December 28, 2010

रात बर्फ का कालीन बिछा गयी

पलकों पर रखे इतने ख्वाब
सच करो इन्हें तो बोझ कम हो

बहुत दिन हुए मंदिर गए हुए
दोस्तों से मिलो जो वक़्त कम हो

हंसी से खरीदी कर रहे हैं आज
सौदा नहीं बुरा जो नोट कम हो

रात बर्फ का कालीन बिछा गयी
पांव रखें उस पर जो इमां कम हो

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