June 29, 2014

मिलता है


तुम से मिलकर हौसला मिलता है
कोई हमसे भी बेवज़ह मिलता है

आशिक़ के जनाज़े में किसी को टटोलो
हर शख्स ही एक आशिक़ मिलता है

ये बेसब्र भीड़ हर दिन कहाँ जाती है
इन्हे क्या मिले जो इन्हे सब्र मिलता है

रात जब नींद में तुझे ढूंढते हैं ये हाथ
तेरी ज़ुल्फ़ों से महका तकिया मिलता है

हमसे पूछो तो हम अपना पता देते हैं
हमशक्ल हमारा भोपाल में मिलता है 

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